sanaatan parampara mein devee-devataon kee krpa paane ke lie jap, tap aur vrat ko upaay bataaya gaya hai. isake saath hee pratyek devata ke vrat ka din aur tithi bhee nirdhaarit kee gaee hai. jeevan mein sukh,
सूर्य को नवग्रहों में राजा माना गया है. ज्योतिष के अनुसार यदि सूर्य किसी भी जातक की कुंडली में शुभ और मजबूत हैं तो उसे सुख, समृद्धि, सौभाग्य, आरोग्य, यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है, वहीं कमजोर या फिर कहें अशुभ होने पर व्यक्ति को इसके विपरीत फल मिलते हैं. उसे जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सूर्य (Sun) के अशुभ होने पर उसके मान-सम्मान को चोट पहुंचने का हमेशा खतरा बना रहता है और उसके कार्यों में अक्सर कोई न कोई बाधा आती रहती है. कुंडली में सूर्य को मजबूत बनाने के लिए पूजा-पाठ, जप-तप आदि में रविवार का व्रत (Sunday Fast) एक उत्तम उपाय माना गया है. आइए भगवान सूर्य की कृपा बरसाने वाले रविवार व्रत का धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व और विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं.
रविवार व्रत का धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व
सनातन परंपरा में सूर्यदेव की साधना-आराधना अत्यंत ही सरल और शीघ्र फलदायी मानी गई है. सूर्य की शुभता और आशीर्वाद पाने के लिए रविवार का व्रत अत्यंत ही उत्तम उपाय माना गया है. मान्यता है कि रविवार का व्रत करने पर साधक पर शीघ्र ही सूर्य कृपा बरसती है और उसे जीवन में सभी सुख, सम्मान और आरोग्य की प्राप्ति होती है. ज्योतिष के अनुसार रविवार का व्रत रखने से व्यक्ति की कुंडली से जुड़ा सूर्य दोष दूर होता है और उसकी शुभता प्राप्त होती है.
कब और कैसे रखें रविवार का व्रत
यदि आपकी कुंडली में सूर्य से जुड़ा दोष है या फिर कहें सूर्य के कमजोर होने के कारण आपको तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो आप इससे बचने के लिए किसी भी मास के शुक्लपक्ष से सूर्यदेव का व्रत प्रारंभ करना चाहिए. मान्यता है कि सूर्य देवता का आशीर्वाद पाने के लिए व्यक्ति को कम से कम 12 व्रत विधि-विधान से रखना चाहिए. यदि संभव हो तो आप इसे पूरे साल कर सकते हैं.
रविवार व्रत के लाभ
- रविवार का दिन भगवान भास्कर को समर्पित होता है. इनकी पूजा और व्रत से घर सुख-समृद्धि से भर जाता है और शत्रुओं का नाश होता है.
- रविवार का व्रत कम से कम एक वर्ष और अधिकतम 12 वर्षों तक किया जा सकता है. लेकन व्रत छोड़ने के बाद इसका उद्यापन जरूर करें.
- मान्यता है कि जो लोग रविवार का व्रत रखते हैं या रविवार की व्रत कथा सुनते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.
- जो लोग रविवार के दिन मांसाहार या तामसिक भोजन और नमक का त्याग करते हैं उन्हें उत्तम स्वास्थ्य के साथ ही मान-सम्मान व यश की प्राप्ति होती है.
- अगर कोई स्त्री इस व्रत को करे तो उसे संतान सुख मिलता है. साथ ही रविवार का व्रत मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है.
- रविवार व्रत से सूर्य ग्रह के अशुभ प्रभाव कम होते हैं और कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है.
- रविवार व्रत से चर्म रोग, नेत्र रोग और कुष्ठ रोग की समस्या भी दूर होती है.
रविवार व्रत की पूजा विधि
भगवान भास्कर की कृपा बरसाने वाला रविवार का व्रत करने के लिए रविवार को सूर्योदय से पहले उठें और स्नान-ध्यान के बाद लाल रंग के उनी आसन पर बैठकर भगवान सूर्य देव के बीज मंत्र की पांच माला जप करें. इसके बाद रविवार व्रत की कथा और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें. इसके बाद भगवान सूर्य नारायण को गंध, चावल, दूध, लाल फूल और जल अर्पित करें. इसके बाद जिस स्थान पर खड़े हों, वहीं पर चारों ओर घूम जाएं और सूर्यदेव के प्रसाद स्वरूप लाल चंदन को अपने मस्तक पर धारण करें. रविवार के व्रत में नमक का सेवन न करें और इस दिन सिर्फ गेहूं की रोटी या गेहूं का दलिया गुड़ डाल कर प्रसाद के रूप में सेवन करें. जब आपका रविवार व्रत का संकल्प पूरा हो जाए तो आप अंतिम रविवार व्रत वाले दिन कम से कम चार ब्राह्मण को भोजन कराएं और उन्हें लाल वस्त्र, लाल फल, लाल मिठाई, लाल पुष्प, नारियल, दक्षिणा आदि देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें.
Source: (ABP News,TV9)
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